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अगर पाना चाहते हैं माता लक्ष्मी की कृपा तो जरूर धारण करें ये रुद्राक्ष

"रुद्राक्ष" आप सभी ने रुद्राक्ष के बारे में पढा या सुना जरूर होगा। कहते हैं रुद्राक्ष भगवान शिव शंकर के आँशुओं से उत्पन्न हुआ है।पौराणिक मान्यताओं के आधार पर ये कहना बिल्कुल गलत नही होगा कि रुद्राक्ष धारण करते ही मनुष्य के जीवन मे नकारात्मकता का अंत और सकारात्मकता का संचार होने लगता है। रुद्राक्ष मुख्यतः नेपाल में अथवा उत्तराखंड के कुछ पर्वतीय भागों में पाया जाता है। यहां रुद्राक्ष के पेड़ बड़ी आसानी से आपको देखने को मिल जायेंगे। शिव महापुराण में भी रुद्राक्ष के प्रकारों और उनसे होने वाले चमत्कारों के बारे में लिखा हुआ है। इसमे वर्णित सभी रुद्राक्ष बेहद प्रभावशाली हैं। आइये जानते हैं दो खास रुद्राक्षों के बारे में..... एकमुखी रुद्राक्ष:- वैसे तो एकमुखी रुद्राक्ष मिलना बेहद मुश्किल होता है। फिर भी जिसके पास एकमुखी रुद्राक्ष होता है उसके घर मे माता लक्ष्मी स्थाई निवास करती है। और उस मनुष्य के जीवन मे आर्थिक समस्या का कोई स्थान नही रह जाता। एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले मनुष्य के जीवन मे धन धान्य की कोई कमी नही होती और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा उस पर बनी रहती है। सिद्धपीठ सुरक

लाटू देवता एक रहस्यमयी मंदिर

यूं तो उत्तराखंड अपनी मनमोहक खूबसूरती और देवभूमि के लिए जाना जाता है पर अनेको रहस्यों को अपने आँचल में समेटे हुए उत्तराखंड बरसों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता आया है। आज एक ऐसे ही रहस्यमयी मंदिर लाटू देवता मंदिर के बारे में आपको बताते हैं।  ©patrika.com उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले के देवाल ब्लॉक के वांण नामक स्थान पर स्थित लाटू देवता मंदिर एक तरफ जहां भक्तो की अटूट आस्था का प्रतीक है वही दूसरी ओर कई रहस्यों से भी भरा हुआ है।लोकमान्यताओं के अनुसार लाटू देवता माँ नंदा देवी के धर्म भाई हैं।  उत्तराखंड राज्य में हर 12 साल में आयोजित होने वाली सबसे बड़ी राजजात माँ नंदा देवी राजजात का 12 वां पड़ाव है वांण गांव। यहां जब माँ नंदा देवी की राजजात पहुंचती है तो यहां से लेकर हेमकुंड तक अपनी बहन की अगवानी करते है लाटू देवता। सालभर में केवल एक दिन खुलते हैं कपाट लाटू देवता को पूजने और उनसे मन माँगी मुराद पूरा करवाने के लिए वैसे तो हर समय भक्तों की भीड़ लगी रहती है पर वैशाख माह की पूर्णिमा को केवल एक दिन के लिए मंदिर के कपाट खोले जाते हैं, साथ ही श्री विष्णु सहस्रनाम और भगवती चण्डिका पा

सिद्धपीठ सुरकंडा देवी जहाँ पूरी होती है हर मनोकामना

 देवभूमि उत्तराखंड जहाँ कण कण में बसते हैं भगवान।  एक तरफ जहाँ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिये विश्वविख्यात है उत्तराखंड वहीं दूसरी ओर धर्म एवं आस्था के नजरिये से भी उत्तराखंड का एक विशिष्ट स्थान है। ©amarujala.com कल कल करती बहती हुई नदियाँ मानो ये संदेश दिये जाती हों कि जीवन मे हर घड़ी आगे बढ़ते चलो चाहें वक़्त अच्छा हो या बुरा अपने पथ से कभी पीछे ना हटो। वहीं बड़े बड़े विशालकाय पहाड़ मानो हँसते हुए हमसे कह रहें हो कि जीवन मे स्थिति कैसी भी हो, पर हमेशा अपने धर्म पर कायम रहो और अपने विश्वास को इन पहाड़ों की तरह अडिग रखो। यकीन मानिये अगर कहीं भी स्वर्ग होगा तो जरूर उत्तराखंड जैसा ही होगा। यूं तो हरे भरे पहाड़ों और ठंडी सुगंधित हवा से महकता हुआ पूरा उत्तराखंड ही बहुत खूबसूरत है पर फिर भी उत्तराखंड में पहाड़ों पर बसे छोटे बड़े मंदिर और दूर दराज जहाँ जाना भी आसान नही वहाँ मंदिरों का होना यहां के लोगो की भगवान के प्रति अटूट आस्था और विश्वास का प्रतीक है।  उत्तराखंड के टिहरी जनपद में चम्बा-मसूरी मोटरमार्ग पर  सुरकुट पर्वत पर स्थित सिद्धपीठ माता सुरकंडा देवी का मंदिर एक तरफ जहां अपनी मनोहर

खुबानी के 5 बेहतरीन फायदे

खुबानी एक गुठलीदार, हल्का खट्टा और मीठा स्वाद लिये हुए पौष्टिकता से परिपूर्ण फल है। इसका वानस्पतिक नाम Prunus armeniaca (प्रूनस आरमीनिआका) है जो कि Rosaceae (रोजेसी) कुल का होता है।अनेको औषधीय गुणों को खुद में समेटे हुए खुबानी को आयुर्वेद में भी एक विशिष्ट स्थान प्राप्त है।  यह विटामिन और मिनरल्स के साथ साथ एंटीऑक्सीडेंट का भी एक अच्छा स्त्रोत है। यूं तो भारत मे कई पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी खेती होती है फिर भी मुख्यतः उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, और कश्मीर आदि क्षेत्र खुबानी के लिए उपयुक्त हैं। आइये जानते हैं स्वास्थ्य के लिए किस तरह फायदेमंद है। खुबानी के 5 बेहरतीन फायदे 1.आंखों के लिये फायदेमंद: खुबानी विटामिन-C का एक अच्छा स्रोत है। बढ़ती उम्र के साथ आंखों में होने वाली बीमारियां जैसे आंखों का सूखापन,आंखों से पानी आना आदि को खुबानी के नियमित सेवन से आसानी से खत्म किया जा सकता है। खुबानी का सेवन हमारे शरीर मे होने वाली विटामिन-C की कमी को पूरा करने में बहुत सहायक होता है। 2.पाचन में फायदेमंद: कहा जाता है कि अधिकतर बीमारियां पेट से ही शुरू होती हैं। ऐसे में खुबानी का सेवन ना के

मात्र 1 रुपये में खरीदें सोना

सोना खरीदना शायद हर किसी को पसंद होता है लेकिन सोने की आसमान छूती कीमतों के चलते ज्यादातर लोगों के लिये सोना ख़रीदना सपना ही रह जाता है। लेकिन अब सोना खरीदने का आपका सपना हकीकत में बदल सकता है वो भी घर बैठे बैठे बड़ी आसानी से ही। सोना खरीदने के लिये डिजिटल गोल्ड में बहुत आसानी से कम से कम 1 रुपये से भी निवेश किया जा सकता है।आइये जानते है कैसे आप घर बैठे ही बड़ी आसानी से सोना खरीद सकते हैं। डिजिटल गोल्ड में निवेश करने के लिये कई मौजूदा प्लेटफॉर्म उपलब्ध हैं, जिनके जरिये कुछ आसान स्टेप को पूरा करके डिजिटल गोल्ड में निवेश किया जा सकता है। बस इसके लिये जरूरत है एक स्मार्ट फ़ोन की और इंटरनेट कनेक्शन की। जैसा कि हम सब जानते है सोने का भाव रोज बदलता रहता है। तो डिजिटल गोल्ड खरीदते समय भी सोने के बदलते भाव पर अपनी नज़र रखें और सही एवं किफायती भाव पर डिजिटल गोल्ड में निवेश करें। डिजिटल गोल्ड में निवेश करना इसलिये भी ज्यादा अच्छा विकल्प है क्योंकि ये हमे भरोसा देता है 24 कैरेट का। Phone pay, google pay, paytm आदि ऐसे कई प्लेटफार्म है जो हमे डिजिटल गोल्ड खरीदने की सुविधा देते हैं। डिजिटल ग

बसंत पंचमी 2021 क्यों है खास?

बसंत पंचमी यानी माघ माह के शुक्लपक्ष की पंचमी। साथ ही प्रेम ऋतु वसंत का आगमन। इस बार बसंत पंचमी का प्रारंभ 16 फरवरी तड़के 3 बजकर 36 मिनट से होगा जो 17 फरवरी सुबह 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। अतः 16 फरवरी को ही मनाया जायेगा बसंत पंचमी का त्योहार। ये भी पढ़ें: सिद्धपीठ सुरकंडा देवी जहाँ पूरी होती है हर मनोकामना गुरु ग्रह उदय एवं शुक्र ग्रह अस्त होगा बसंत पंचमी के सुअवसर पर सूर्योदय के साथ ही देवगुरु ब्रहस्पति भी उदित हो जायेंगे लेकिन साथ ही शुक्र ग्रह अस्त हो जायेगा। अतः इन दिनों विवाह मुहूर्त नही हैं। लेकिन बसंत पंचमी के शुभ मुहूर्त के चलते कुछ जगहों पर शादियां होंगी। मांगलिक कार्यों के लिये खास होगा बसन्त पंचमी के इस सुअवसर पर सर्वार्थसिद्धि योग,रवियोग,एवं अन्य राजयोग बनने के कारण ये दिन नये कार्य शुरू करने,भूमि भवन क्रय करने,ग्रह प्रवेश,नये वाहन खरीदने, एवं नया व्यापार आदि शुरू करने के बहुत शुभ माना जा रहा है। माता सरस्वती पूजन जहाँ एक तरफ बसंत पंचमी बसंत ऋतु के आगमन के लिये जाना जाता है वहीं दूसरी तरफ स्वर एवं ज्ञान की देवी माँ सरस्वती के पूजन के लिये इससे उत्तम दिन दूसरा नही होता। क्योंकि

क्या भूत सच में होते हैं

भूत होते हैं या नहीं इस सवाल पर हमेशा अलग अलग लोगों का अलग अलग जवाब रहा है। कोई कहता है कि भूत होते हैं और किसी को ये मात्र अफवाह या अंधविश्वास ही लगता है। कुछ लोगो एवं क़िस्सों कहानियों द्वारा जो पता चलता है उसके अनुसार भूत वो योनि है जिसमे मनुष्य तब पहुंच जाता है जब उसकी मृत्यु के समय कई अधूरी इच्छायें बाकी रह जाती हैं।और उन इच्छाओं को पूरा करे बिना ही उसकी मृत्यु हो जाती है। सच क्या है ये तो भगवान ही जाने पर हाँ इस दुनिया मे ऐसे लोगों की कमी भी नही है जो ये दावा करते हैं कि उन्होंने भूत देखा है या महसूस किया है। कुछ ऐसा ही होता है गढ़वाल में जहां कई लोगों ने भूत होने की बात को बिल्कुल सही कहा है। वैसे तो देवभूमि उत्तराखण्ड में पहाड़ों की गोद मे बसा गढ़वाल अपनी खूबसूरती और धार्मिक स्थलों के लिये जाना जाता है लेकिन पुराने बुज़ुर्गों की माने तो कुछ लोगो का कहना है कि पहले गढ़वाल में भूतों की टोली या बारात चलती थी। यूँ तो वो किसी को दिखाई नही देती थी लेकिन फिर भी अगर गलती से कोई उनके रास्ते मे आ जाता था तो उसका बचना मुश्किल हो जाता था। अक्सर भूतों की बारात रात में 12 बजे निकलती थी और उस बारात