यूं तो उत्तराखंड अपनी मनमोहक खूबसूरती और देवभूमि के लिए जाना जाता है पर अनेको रहस्यों को अपने आँचल में समेटे हुए उत्तराखंड बरसों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता आया है। आज एक ऐसे ही रहस्यमयी मंदिर लाटू देवता मंदिर के बारे में आपको बताते हैं।
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उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले के देवाल ब्लॉक के वांण नामक स्थान पर स्थित लाटू देवता मंदिर एक तरफ जहां भक्तो की अटूट आस्था का प्रतीक है वही दूसरी ओर कई रहस्यों से भी भरा हुआ है।लोकमान्यताओं के अनुसार लाटू देवता माँ नंदा देवी के धर्म भाई हैं।
उत्तराखंड राज्य में हर 12 साल में आयोजित होने वाली सबसे बड़ी राजजात माँ नंदा देवी राजजात का 12 वां पड़ाव है वांण गांव। यहां जब माँ नंदा देवी की राजजात पहुंचती है तो यहां से लेकर हेमकुंड तक अपनी बहन की अगवानी करते है लाटू देवता।
सालभर में केवल एक दिन खुलते हैं कपाट
लाटू देवता को पूजने और उनसे मन माँगी मुराद पूरा करवाने के लिए वैसे तो हर समय भक्तों की भीड़ लगी रहती है पर वैशाख माह की पूर्णिमा को केवल एक दिन के लिए मंदिर के कपाट खोले जाते हैं, साथ ही श्री विष्णु सहस्रनाम और भगवती चण्डिका पाठ के साथ साथ घंटे और शंख की पवित्र ध्वनियां भक्तों को मंत्रमुग्ध किये देती हैं।
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पुजारी भी आंख,नाक और मुंह पर पट्टी बांधकर करते हैं पूजा
लाटू देवता मंदिर में प्रवेश करना सभी के लिए वर्जित है लगभग 70 फिट की दूरी से लाटू देवता की पूजा करते हैं भक्तजन। मंदिर की अनोखी बात यह भी है कि यहां पुजारी आंख,नाक और मुंह पर पट्टी बांधकर लाटू देवता की पूजा करते हैं।लोकमान्यताओं के अनुसार यहां लाटू देवता नागराज के रूप में अपनी मणि के साथ विराजमान हैं। अतः पुजारी की नाक तक नागराज की विषैली गंध ना पहुंच सके और पुजारी की आंखें लाटू देवता के विशालकाय नागराज रूप एवं मणि को देखकर चौंधिया ना जाये इसलिये पुजारी मुंह,नाक और आंख पर पट्टी बांधकर लाटू देवता की पूजा करते हैं।
लाटू देवता के मंदिर में भक्तों द्वारा चढ़ाये हुए घण्टे,झंडे आदि इस बात का प्रतीक हैं कि लाटू देवता के प्रति भक्तों की कितनी अटूट श्रद्धा और आस्था रही है।
लाटू देवता आप सभी पर अपनी कृपा बनाकर रखें इसी मंगल कामना के साथ नमस्कार।
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